दूसरे
अध्याय में विद्यमान मज़दूर
पार्टियों के साथ, जैसे
इंगलैंड में चार्टिस्टों के
साथ और अमरीका में कृषि
सुधारकों
के साथ, कम्युनिस्टों
का संबंध स्पष्ट किया जा चुका
है।
कम्युनिस्ट
मज़दूर वर्ग के तात्कालिक
लक्ष्यों को हासिल करने के
लिए , उसके
सामयिक हितों को प्रवर्तित
करने के लिए लड़ते है;
लेकिन
आज दिन के आंदोलन में वे साथ
ही इस आंदोलन के भविष्य का भी
प्रतिनिधित्व करते है और उसका
ध्यान रखते हैं। फ़्रांस में रूढ़िवादी और आमूलवादी बुर्जुआओं के ख़िलाफ़
कम्युनिस्ट
सामाजिक-जनवादियों(१)
के
साथ एका क़ायम करते है,
लेकिन
ऐसा करते हुए वे महान क्रांति
के दिनों से परंपरागत रूप में
चली आती हुई लफ़्फ़ाज़ी
(phases)
और
भ्रांतियों के प्रति आलोचनात्मक
रुख़
अपनाने
के अपने अधिकार को
सुरक्षित
रखते हैं।
स्विट्ज़रलैंड
में वे आमूलवादियों का समर्थन
करते हैं, लेकिन
इस बात को भुलाये बिना कि यह
पार्टी परस्पर-विरोधी
तत्वों के मेल से बनी है:
कुछ
तो उसमें
फ़्रांसीसी अर्थ
में जनवादी समाजवादी हैं और
कुछ आमूलवादी बुर्जुआ।
पोलैंड
में वे उस पार्टी का समर्थन
करते हैं,
जो
कृषि
क्रांति
को राष्ट्रीय मुक्ति की पहली
शर्त मानती है और जिसने १८४६
में क्तैको विद्रोह
की
आग सुलगायी थी।
जर्मनी
में वहाँ का बुर्जुआ वर्ग जहां
तक क्रांतिकारी ढंग से कार्रवाई
करता है,
वहाँ
तक वे उसके साथ मिलकर निरंकुश
राजतंत्र,
सामंती
भूस्वामियों और निम्नबुर्जुआओं
के ख़िलाफ़
लड़ते
हैं।
लेकिन
वे मज़दूर वर्ग को सर्वहारा
और बुर्जुआ वर्ग के शत्रुतापूर्ण
विरोध का यथासंभव स्पष्ट से
स्पष्ट बोध कराने काम क्षण
भर के लिए भी नहीं रोकते,
ताकि
जर्मन मज़दूर उन सामाजिक और
राजनीतिक अवस्थाओं को,
जिन्हें
बुर्जुआ वर्ग को अपने प्रभुत्व
के साथ अनिवार्यत:
लागू
करना होगा,
सीधे
बुर्जुआ वर्ग के विरुद्ध
हथियारों के रूप में इस्तेमाल
कर सकें,
और
ताकि जर्मनी में प्रतिक्रियावादी
वर्गों के पतन के बाद तुरंत
स्वयं बुर्जुआ वर्ग के ख़िलाफ़ लड़ाई की
शुरूआत हो सके।
जर्मनी
की ओर कम्युनिस्ट ख़ास तौर से
इसलिए ध्यान देते हैं कि वह
देश ऐसी बुर्जुआ क्रांति के
द्वार पर खड़ा
है,
जिसका
यूरोपिय सभ्यता की अधिक उन्न्त
अवस्थाओं में और इंगलैंड के
सत्ताहवीं शताब्दी और फ़्रांस
के अठारहवीं शताब्दी के सर्वहारा
की तुलना में अधिक उन्नत
सर्वहारा को लेकर संपन्न होना
अवयंभावी है और इसलिए कि जर्मनी
की यह बुर्जुआ क्रांति उसके
बाद तुरंत ही होनेवाली सर्वहारा
क्रांति की उपक्रमणिका होगी।
संक्षेप
में, कम्युनिस्ट
सर्वत्र विद्यमान सामाजिक
तथा राजनीतिक व्यवस्था के
विरुद्ध हर क्रांतिकारी आंदोलन
का समर्थन करते हैं।
इन
तमाम आंदोलनों में वे प्रमुख
प्रश्न के रूप में संपत्ति
के प्रश्न को,
चाहे
उस समय उसका जिस अंश में भी
विकास हुआ हो,
सर्वोपरि
स्थान देते हैं।
अंतिम
बात, वे
सर्वत्र तमाम देशों की जनवादी
पार्टियों के बीच एकता और
समझौता कराने की कोशिश करते
हैं।
कम्युनिस्ट
अपने विचारों और उद्देश्यों
को छिपाना तिरस्करणीय समझते
हैं। वे खुलेआम ऐलान करते हैं
कि उनके लक्ष्य समस्त वर्तमान
सामाजिक अवस्थाओं के बलात
पर्युत्क्षेपण द्वारा ही
सिद्ध किये जा सकते हैं।
कम्युनिस्ट क्रांति के भय से
शासक वर्ग कांपते हैं,
तो
कांपें। सर्वहाराओं के पास
अपनी बेड़ियों के सिवा खोने
के लिए कुछ नहीं है। जीतने के
लिए उनके सामने सारी दुनिया
हैं।
Working
Men of All Countries, Unite!
दुनिया
के मज़दूरों,
एक
हो !
(१)
उस
समय इस पार्टी का प्रतिनिधित्व
संसद में लेद्रू-रोलें,
साहित्य
में लुई ब्लां और दैनिक पत्रों
में La
Réforme करता
था। सामाजिक-जनवाद
का नाम उसके आविष्कारकों के
अनुसार जनवादी अथवा गणतंत्रवादी
पार्टी के उस हिस्से का द्योतक
था, जो
कमोबेश समाजवाद के रंग में
रंगा था। [१८८८
के अंग्रेज़ी
संस्करण
में एंगेल्स की टिप्पणी।]